News

30 Jun 2018

1 जुलाई को बंद रहेगा GSTN पोर्टल, संभावित डिजास्टर से निपटने के लिए हो रहा तैयार...

नई दिल्ली. गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) रेजीम के एक साल पूरा होने के मौके पर 1 जुलाई यानी रविवार को टैक्स फाइलिंग पोर्टल जीएसटी नेटवर्क (GSTN) कुछ समय के लिए बंद हो जाएगा। GSTN इस दिन टेरर अटैक, पावर ग्रिड के फेल होने या भूकंप जैसी आपदा की स्थिति से पार पाने के क्रम में बेंगलुरू में एक बैकअप सिस्टम तैयार करने के वास्ते एक ‘डिजास्टर रिकवरी ड्रिल’ का आयोजन करेगा।

तैयार हो रहा जीएसटीएन का बैकअप

जीएसटीएन के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर प्रकाश कुमार ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा, ‘हम किसी भी बाधा या डिजास्टर की स्थिति में सिस्टम को सुरक्षित, सक्रिय और उपलब्धता बनाए रखने के लिए एक बैकअप तैयार कर रहे हैं। इसका उद्देश्य बिजनेस को किसी भी तरह की बाधा से बचाए रखना है।’

 12 घंटे की होगी डिजास्टर रिकवरी ड्रिल

टैक्सपेयर्स को भेजे एक मेल में अथॉरिटीज ने कहा कि उसके द्वारा एक डिजास्टर रिकवरी ड्रिल की प्लानिंग की जा रही है और इसलिए 1 जुलाई को सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक सर्विस उपलब्ध नहीं रहेगी। इसलिए पोर्टल पर इसके हिसाब से जीएसटी से संबंधित गतिविधियों के लिए प्लान बनाने का अनुरोध किया जाता है।

आपात स्थिति में दिल्ली से बेंगलुरू शिफ्ट होगा सिस्टम

GSTN के दो सर्विस प्रोवाइडर हैं। मुख्य डाटा सेंटर दिल्ली में हैं और इसे टाटा कम्युनिकेशंस संभालती है। डिजास्टर बैकअप एयरटेल की मदद से बेंगलुरू में तैयार किया जा रहा है। इसके तैयार होने के बाद डिजास्टर की स्थिति में सिस्टम स्वतः यानी ऑटोमैटिकली दिल्ली से बेंगलुरू शिफ्ट हो जाएगा। एक अधिकारी के मुताबिक, इसका उद्देश्य किसी भी स्थिति में रिटर्न फाइलिंग को जारी रखना है।

 ज्यादा सेफ होगा जीएसटीएन पोर्टल

इस ऑटोमेशन के माध्यम से किसी भी आपात स्थिति में जीएसटीएन पोर्टल सुरक्षित और लचीला हो जाएगा। एक अधिकारी के मुताबिक, यदि कोई टेरर अटैक हो और टेररिस्ट दिल्ली में जीएसटीएन सिस्टम को अपने कंट्रोल में ले लें तो बिजनेस नहीं रुकना चाहिए। वहीं यदि 48 घंटे के लिए पावर ग्रिड फेल हो जाता है या भूकंप आता है तो भी जीएसटीएन के लिए काम सामान्य रूप से चलता रहेगा।

 सरकार के स्वामित्व वाली बॉडी बनेगी जीएसटीएन

एक प्राइवेट बॉडी के तौर पर गठित जीएसटीएन को अब सरकार के स्वामित्व वाली संस्था में तब्दील किया जा रहा है, क्योंकि डाटा की गोपनीयता को देखते हुए वैश्विक स्तर पर इस पर चिंता जाहिर की जा रही है। जीएसटीएन ने इन्फोसिस की मदद से फ्रंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया है। यह रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइलिंग और ई-पेमेंट के लिए एक कॉमन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है।