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17 Apr 2018

50000 से ज्यादा के प्रोडक्ट पर कंज्‍यूमर्स को भी बनवाना होगा ई-वे बिल, सरकार ने किया क्लियर....

नई दिल्‍ली. ई-वे बिल ट्रेडर्स और ट्रांसपोटर्स के लिए ही नहीं बल्कि कंज्‍यूमर के लिए भी बनवाना जरूरी है। यदि कोई कस्‍टमर 50 हजार रुपए से ज्‍यादा का सामान खरीदकर ले जा रहा है तो उसे ई-वे बिल जेनरेट करना होगा। सरकार की ओर से इस संबंध में क्लियरिफिकेशन जारी किया गया है। सीधे तौर पर इसे ऐसे समझें, यदि कंज्‍यूमर 50,000 रुपए से अधिक का टीवी या मोबाइल खरीदकर स्वयं अपने व्हीकल में दूसरे राज्य में लेकर जाता है, तो उसे भी ई-वे बिल जेनरेट कराना होगा।

कंज्‍यूमर को भी बनाना होगा ई-वे बिल

चार्टर्ड अकाउंटेंट शुभी गुप्ता ने moneybhaskar.com को बताया कि सरकार ने ई-वे बिल को क्लियरिफिकेशन दिए हैं। इनमें कहा गया है कि एक कन्ज्यूमर को भी 50 हजार रुपए से अधिक का माल या प्रोडक्ट ट्रांसपोर्ट करने पर ई-वे बिल बनाना होगा। यानी अगर कोई कस्टमर 50 हजार रुपए से अधिक का मोबाइल या टीवी खरीदता है जिसे वह अपने स्वयं के व्हीकल में लेकर जाता है तो उसे ई-वे बिल जेनरेट करना होगा। ये ई-वे बिल कन्ज्यूमर के तरफ से टैक्सपेयर या सप्लायर बना सकता है। कन्ज्यूमर स्वयं भी ई-वे बिल के पोर्टल पर सिटीजन के तौर पर रजिस्टर कर ई-वे बिल जेनरेट कर सकता है।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट में प्रोडक्ट ले जाने पर भी बनाना होगा ई-वे बिल

अगर कोई भी डीलर या सप्लायर पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे बस, मेट्रो के जरिए 50 हजार रुपए से अधिक का गुड्स ट्रांसपोर्ट करते हैं तो उन्हें ई-वे बिल बनाना होगा। ताकि चेकिंग के समय ई-वे बिल दिखाया जा सके।

सरकार ने ट्रांसपोर्टर्स के लिए आसान किए नियम

सरकार ने ट्रांसपोटर्स के लिए ई-वे बिल आसान कर दिए हैं। अब ट्रांसपोटर्स को ई-वे बिल के टाइम पीरियड को ऑनलाइन बढ़ा सकते हैं लेकिन उन्हें नहीं पहुंचा पाने का वैलिड कारण ई-वे बिल पोर्टल पर बताना होगा। अगर दूरी के मुताबिक दिए टाइम पीरियड में ट्रांसपोटर्स किसी भी कारण से समय पर स्टॉक नहीं पहुंचा पाते हैं, तो वह अपने दिनों की टाइम पीरियड को आगे पढ़ा सकते हैं। ये बदलाव वह ऑनलाइन कर सकते हैं।

एक बार ही होगी चेकिंग

पहले ट्रांसपोटर्स की गाड़ी हर एक राज्य के चुंगी पर चेकिंग के लिए खड़ी होती थी जिसमें कई बार 2 से 3 दिन का समय लग जाता था वो अब नहीं होगा। किसी भी ट्रक या व्हीकल की एक बार चेकिंग होने के बाद दोबारा चेकिंग नहीं होगी। यानी व्हीकल का एक राज्य से दूसरे राज्य में फ्री फ्लो मूवमेंट होगा। अगर सरकार या टैक्स अधिकारी को किसी व्हीकल को लेकर जानकारी मिलती है उसकी चेकिंग दोबारा की जा सकती है।

सरकार ने जारी किए ई-वे बिल को लेकर क्लैरिफिकेशन

1. अगर प्रोडक्ट का ट्रांसपोर्टेशन जॉब वर्क के लिए किया जा रहा है, तो उस केस में सप्लायर या रजिस्टर्ड जॉब वर्कर को ई-वे बिल जेनरेट करना होगा।

2. रेलवे, एयर या जहाज के जरिए गुड्स ट्रांसपोर्ट करने पर रजिस्टर्ड सप्लायर या रेसिपिंट ही ई-वे बिल जेनरेट करेगा। इस केस में ट्रांसपोर्टर ई-वे बिल जेनरेट नहीं करेगा। गुड्स की डिलीवरी के समय ई-बिल होना जरूरी होगा।

3. ई-वे बिल जेनरेट करने पर उसे रिजेक्ट और अक्सेप्ट करने के लिए 72 घंटे का समय मिलेगा।

4. ई-वे बिल की एक दिन की वैलिडिटी 100 किलोमीटर तक के लिए होगी। दूरी में 100 किलोमीटर बढ़ने पर एक दिन ई-वे बिल की टाइम वैलिडिटी में बढ़ता जाएगा।

5. ई-वे बिल तभी बनवाने की जरूरत है जब गुड्स की वैल्यू टैक्स मिलाकर 50 हजार रुपए से ज्यादा है। इसमें जीएसटी में टैक्स छूट के दायरे में आने वाले प्रोडक्ट और जिन प्रोडक्ट को ई-वे बिल बनवाने से छूट मिली है उनके लिए ई-वे बिल नहीं बनाना होगा। वह 50 हजार रुपए की गिनती में भी शामिल नहीं होंगे।

6 अगर ट्रांसपोर्ट किए जाने वाले गुड्स की कीमत 50 हजार रुपए से कम है तो ई-वे बिल नहीं बनाना होगा। अगर एक व्हीकल में अगर एक से ज्यादा ट्रेडर्स के गुड्स जा रहे हैं और हर एक के कन्साइनमेंट की वैल्यू 50 हजार रुपए से कम है लेकिन उनके कन्साइनमेंट की वैल्यू 50 रुपए से अधिक भी है तो भी ई-वे बिल बनवाने की जरूरत नहीं होगी।

7 सप्लायर ट्रांसपोर्टर, कुरियर एजेंसी और ई-कॉमर्स ऑपरेटर को पार्ट-A सप्लायर की तरफ से भरने के लिए ऑथराइज्ड कर सकता है।

8 अगर सप्लायर के बिजनेस का प्रिंसिपल प्लेस और ट्रांसपोटर्स के बिजनेस प्लेस के बीच की दूरी 50 किलोमीटर से कम है तो ई-वे बिल का पार्ट-B भरने की जरूरत नहीं होगी। सिर्फ ई-वे बिल का पार्ट-A भरना होगा।