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16
Apr
2018
ई वे बिल : माल और वाहन जब्त करने व छुड़ाने के नियम जारी
नई दिल्ली:एजेंसी. इंट्रा स्टेट ई वे सिस्टम 15 अप्रैल से उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में लागू हो गया है. 50,000 रुपए से अधिक का माल लाने या ले जाने के लिए अब ई वे बिल की जरूरत होगी. सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (CBIC) ने फील्ड ऑफिसरों को एक सर्कुलर जारी कर यह बताया है कि उन्हें बिल की जांच कैसे करनी है और वह क्या-क्या कार्रवाई कर सकते हैं. किन परिस्थितयों में वह माल व वाहन जब्त कर सकते हैं और ट्रांसपोर्टर या कंपनी उसे कैसे छुड़ा सकती है.
ये हैं नियम
1 सर्कुलर के मुताबिक, जिस भी इलाके में जांच होनी होगी वहां का अधिकार प्राप्त कमिशनर अपने इलाके में माल व बिल की जांच पड़ताल के लिए एक अधिकारी को नियुक्त करेगा.
2 यह अधिकारी किसी भी गाड़ी को कागजों की जांच अथवा माल की जांच करने के लिए रोक सकता है.
3 पूछताछ करने पर गाड़ी में बैठा शख्स सामान से जुड़े दस्तावेज पेश करेगा और अधिकारी इनकी जांच करेगा. अगर पहली नजर में कोई खामी नजर नहीं आती है तो अधिकारी वाहन को आगे बढ़ने की इजाजत दे देगा.
4 ई वे बिल चाहे प्रिंट हो या एसएमएस हो अथवा लिखित में हो - मान्य माना जाएगा.
5 अगर अधिकारी को कागजों में कुछ बेमेल चीज नजर आती है तो वाहन में सवार शख्स (वाहन इंचार्ज) के बयान दर्ज किए जाएंगे.
6 जांच अधिकारी इस तरह का आदेश भी जारी कर सकता है जिसके तहत वाहन इंचार्ज को अपना वाहन किसी बताई जगह पर खड़ा करना होगा ताकि माल की जांच हो सके.
7 हालांकि इस आदेश के 24 घंटे के भीतर अधिकारी को एक रिपोर्ट बनाकर जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी.
8 सामान्य तौर पर इंस्पेक्शन की प्रक्रिया आदेश जारी होने के तीन दिन के भीतर पूरी करनी होगी. इसके बाद जांच रिपोर्ट वाहन इंचार्ज को सौंप दी जाएगी.
9 जांच पड़ताल के तीन दिन के भीतर फाइनल रिपोर्ट भी जीएसटी पोर्टल पर अपलोड कर दी जाएगी.
10 वाहन और माल को तभी छोड़ा जाएगा जब माल का मालिक या उसकी ओर से अधिकृत व्यक्ति टैक्स और पेनल्टी की पेमेंट कर देगा.
11 हालांकि जो भी टैक्स व पेनल्टी की रकम है उसके बराबर की बैंक गारंटी देने के बाद भी वाहन व माल को छोड़ा जा सकता है.
12 अगर ऑर्डर जारी होने के 7 दिन के भीतर टैक्स और पेनल्टी नहीं जमा कराई तो माल व वाहन को जब्त करने के साथ और पेनल्टी लगाने का नोटिस दिया जा सकता है.
13 अगर अधिकारी को लगता है कि यहां टैक्स बचाने की कोशिश की जा रही है तो वह सीधे माल व वाहन को जब्त करने का नोटिस दे सकता है.
ये हैं नियम
1 सर्कुलर के मुताबिक, जिस भी इलाके में जांच होनी होगी वहां का अधिकार प्राप्त कमिशनर अपने इलाके में माल व बिल की जांच पड़ताल के लिए एक अधिकारी को नियुक्त करेगा.
2 यह अधिकारी किसी भी गाड़ी को कागजों की जांच अथवा माल की जांच करने के लिए रोक सकता है.
3 पूछताछ करने पर गाड़ी में बैठा शख्स सामान से जुड़े दस्तावेज पेश करेगा और अधिकारी इनकी जांच करेगा. अगर पहली नजर में कोई खामी नजर नहीं आती है तो अधिकारी वाहन को आगे बढ़ने की इजाजत दे देगा.
4 ई वे बिल चाहे प्रिंट हो या एसएमएस हो अथवा लिखित में हो - मान्य माना जाएगा.
5 अगर अधिकारी को कागजों में कुछ बेमेल चीज नजर आती है तो वाहन में सवार शख्स (वाहन इंचार्ज) के बयान दर्ज किए जाएंगे.
6 जांच अधिकारी इस तरह का आदेश भी जारी कर सकता है जिसके तहत वाहन इंचार्ज को अपना वाहन किसी बताई जगह पर खड़ा करना होगा ताकि माल की जांच हो सके.
7 हालांकि इस आदेश के 24 घंटे के भीतर अधिकारी को एक रिपोर्ट बनाकर जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी.
8 सामान्य तौर पर इंस्पेक्शन की प्रक्रिया आदेश जारी होने के तीन दिन के भीतर पूरी करनी होगी. इसके बाद जांच रिपोर्ट वाहन इंचार्ज को सौंप दी जाएगी.
9 जांच पड़ताल के तीन दिन के भीतर फाइनल रिपोर्ट भी जीएसटी पोर्टल पर अपलोड कर दी जाएगी.
10 वाहन और माल को तभी छोड़ा जाएगा जब माल का मालिक या उसकी ओर से अधिकृत व्यक्ति टैक्स और पेनल्टी की पेमेंट कर देगा.
11 हालांकि जो भी टैक्स व पेनल्टी की रकम है उसके बराबर की बैंक गारंटी देने के बाद भी वाहन व माल को छोड़ा जा सकता है.
12 अगर ऑर्डर जारी होने के 7 दिन के भीतर टैक्स और पेनल्टी नहीं जमा कराई तो माल व वाहन को जब्त करने के साथ और पेनल्टी लगाने का नोटिस दिया जा सकता है.
13 अगर अधिकारी को लगता है कि यहां टैक्स बचाने की कोशिश की जा रही है तो वह सीधे माल व वाहन को जब्त करने का नोटिस दे सकता है.